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Lucent GK Quiz in Hindi: भारत के प्रमुख युद्ध, समय, कारण और परिणाम - Free PDF

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Vikas | 5 months ago | 2.5K views
Lucent GK Quiz in Hindi: भारत के प्रमुख युद्ध, समय, कारण और परिणाम - Free PDF
Lucent GK Quiz in Hindi: भारत के प्रमुख युद्ध, समय, कारण और परिणाम - Free PDF

Lucent GK: भारत के प्रमुख युद्ध, समय, कारण और परिणाम

Introduction:
भारत का इतिहास कई प्रमुख युद्धों से भरा हुआ है, जिनकी वजह से देश के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप में बड़े बदलाव आए। इन युद्धों का अध्ययन Lucent GK में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह लेख भारत के प्रमुख युद्धों के समय, कारण और परिणामों पर केंद्रित है। साथ ही, हम आपको इस लेख में PDF और Quiz भी प्रदान कर रहे हैं ताकि आप इन महत्वपूर्ण युद्धों को और बेहतर समझ सकें।

भारत के प्रमुख युद्धों का इतिहास
भारत में सबसे प्रमुख युद्धों में महाभारत से लेकर आधुनिक समय तक के युद्ध शामिल हैं। इन युद्धों का उद्देश्य सत्ता की प्राप्ति, क्षेत्रीय नियंत्रण और सामरिक ताकत बढ़ाना था। इन युद्धों का परिणाम देश के इतिहास को नया मोड़ देने वाला था।

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Q(1). Who won the First Battle of Panipat in 1526? / 1526 में पहले पानीपत की लड़ाई में किसकी जीत हुई थी?
General Knowledge

  • (A) Babar / बाबर
  • (B) Ibrahim Lodi / इब्राहीम लोदी
  • (C) Akbar / अकबर
  • (D) Shershah Suri / शेरशाह सूरी

Ans: (A) Babar / बाबर

Important Points:

1526 में पहले पानीपत की लड़ाई स्मरणीय तथ्य:

  • बाबर ने 1526 में पहले पानीपत की लड़ाई में विजय प्राप्त की थी।
  • बाबर, जो मुगल साम्राज्य का संस्थापक था, ने इब्राहीम लोदी, दिल्ली के सुलतान, को हराया था।
  • यह लड़ाई 21 अप्रैल 1526 को पानीपत (जो आजकल हरियाणा राज्य में स्थित है) के पास लड़ी गई थी।
  • बाबर की सेना ने तोपों और बारूद का उपयोग करके युद्ध में अपनी ताकत दिखाई थी, जो उस समय एक नया और प्रभावी हथियार था।
  • इब्राहीम लोदी की सेना की रणनीति कमजोर थी और उनकी सेना में अनुशासन की कमी थी, जिससे उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
  • यह विजय मुगल साम्राज्य की नींव रखी और भारत में मुगलों के शासन का प्रारंभ हुआ।
  • बाबर की विजय ने उत्तर भारत में उनकी सत्ता स्थापित की और मुगल वंश की शुरुआत की।
  • इस लड़ाई के बाद, बाबर के उत्तराधिकारी, विशेष रूप से अकबर, ने साम्राज्य का विस्तार किया।
  • इस लड़ाई ने दिल्ली सुलतानत के प्रभुत्व को समाप्त किया और भारत में मुगल सत्ता को स्थापित किया।
  • इब्राहीम लोदी की मृत्यु ने लोदी वंश का अंत किया और मुगल साम्राज्य को मजबूती दी।

Q(2). Which battle led to the establishment of British control in India? / किस युद्ध ने भारत में ब्रिटिश नियंत्रण की स्थापना की?
British History

  • (A) Battle of Plassey / प्लासी की लड़ाई
  • (B) Battle of Buxar / बक्सर की लड़ाई
  • (C) Battle of Panipat / पानीपत की लड़ाई
  • (D) Battle of Waterloo / वाटरलू की लड़ाई

Ans: (B) Battle of Buxar / बक्सर की लड़ाई

Important Points:

भारत में ब्रिटिश नियंत्रण की स्थापना का कारण बना युद्ध:

  • पानीपत की तीसरी लड़ाई (1761): हालांकि पानीपत की तीसरी लड़ाई ने भारत में ब्रिटिश नियंत्रण की स्थापना के लिए सीधा मार्ग नहीं खोला, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण संघर्ष था जिसने भारत में विभिन्न शासकों के बीच शक्ति संतुलन को प्रभावित किया।

  • संपूर्ण नियंत्रण की शुरुआत: ब्रिटिश साम्राज्य का भारत में सशक्त और स्थिर नियंत्रण प्लासी की लड़ाई (1757) से शुरू हुआ, जिसमें रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना ने सराजुद्दौला की बंगाल की सेना को हराया था। यह लड़ाई बंगाल में ब्रिटिश शक्ति को स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुई।

  • लड़ाई का महत्व: प्लासी की लड़ाई में जीत के बाद, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल में अपनी सत्ता मजबूत की, जिससे ब्रिटिश साम्राज्य की भारत में विस्तार की प्रक्रिया तेज हुई।

  • प्लासी की लड़ाई में रणनीतिक श्रेष्ठता: रॉबर्ट क्लाइव ने सराजुद्दौला के खिलाफ एक मजबूत सैन्य रणनीति अपनाई, जिसमें उसने कुछ भारतीय नायक और अन्य सेनापतियों का समर्थन प्राप्त किया था, जो सराजुद्दौला के खिलाफ गए थे।

  • बंगाल का महत्व: बंगाल व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, और यहां ब्रिटिश साम्राज्य ने अपनी आर्थिक शक्ति को स्थापित किया। प्लासी की लड़ाई के बाद, ब्रिटिश ने बंगाल की संसाधनों और राजस्व का शोषण किया, जिससे उनका सत्ता का विस्तार हुआ।

  • ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार: प्लासी की लड़ाई के बाद ब्रिटिश ने धीरे-धीरे भारत के अन्य हिस्सों में भी अपनी शक्ति बढ़ाई और भारतीय राज्य प्रणाली को नियंत्रित करना शुरू किया।

  • भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव: यह लड़ाई ब्रिटिश साम्राज्य की नींव रखने का एक निर्णायक कदम साबित हुई और भारत में ब्रिटिश शासन को लंबी अवधि के लिए स्थापित किया।

  • सामरिक और राजनीतिक प्रभाव: प्लासी की लड़ाई में जीत ने ब्रिटिशों को भारतीय राजनीति में प्रमुख रूप से भागीदार बना दिया और उनके नियंत्रण को देशभर में फैलाने का रास्ता खोला।

  • इंग्लैंड और भारत के रिश्ते: इस लड़ाई ने ब्रिटेन और भारत के बीच आर्थिक और राजनीतिक रिश्तों को मजबूत किया, जिससे ब्रिटिश साम्राज्य की शक्ति का विस्तार हुआ।

Q(3). Which was the last battle fought between the Mughals and the Marathas? / मुगल और मराठों के बीच लड़ा गया आखिरी युद्ध कौन सा था?
Indian History

  • (A) Battle of Panipat / पानीपत की लड़ाई
  • (B) Battle of Aligarh / अलीगढ़ की लड़ाई
  • (C) Battle of Ambarnath / अंबरनाथ की लड़ाई
  • (D) Third Battle of Panipat / पानीपत की तीसरी लड़ाई

Ans: (D) Third Battle of Panipat / पानीपत की तीसरी लड़ाई

Important Points:

मुगल और मराठों के बीच लड़ा गया आखिरी युद्ध:

  • आखिरी युद्ध: मुगलों और मराठों के बीच लड़ा गया आखिरी युद्ध बुंदेलखंड की लड़ाई (1818) थी, जो मराठा साम्राज्य और मुगल साम्राज्य के बीच हुआ था।

  • लड़ाई का कारण: यह लड़ाई मराठों की बढ़ती शक्ति और मुगलों के उत्तराधिकारी की ओर से सत्ता संघर्ष के कारण लड़ी गई थी।

  • मुगल साम्राज्य की हार: बुंदेलखंड की लड़ाई में मराठों की जीत हुई थी, और इस युद्ध ने अंततः मुगलों के साम्राज्य को कमजोर कर दिया।

  • मराठों की रणनीति: मराठों ने युद्ध में अपनी चतुर रणनीतियों का इस्तेमाल किया था, जिसमें तेज़ गति से हमला और रणनीतिक स्थानों का फायदा उठाना शामिल था।

  • आखिरी संघर्ष: इस युद्ध ने यह सिद्ध कर दिया कि मराठों का दबदबा और उनकी शक्ति धीरे-धीरे मुगलों से बढ़ते हुए सामने आ रही थी, जो एक तरह से मुगलों के पतन का संकेत था।

  • युद्ध के परिणाम: युद्ध के परिणामस्वरूप, मराठों ने मुगलों को पराजित किया, और इसने भारतीय उपमहाद्वीप में सत्ता के नए केंद्रों के उदय का मार्ग प्रशस्त किया।

  • मुगल साम्राज्य का अंत: इस युद्ध ने मुगल साम्राज्य को कमजोर किया और भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार की शुरुआत को संभव बनाया।

  • इतिहास में दर्ज: यह युद्ध भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जिसने मुगलों के साम्राज्य के अवसान और मराठों की शक्ति में कमी को प्रदर्शित किया।

Q(4). In which year did the First War of Indian Independence occur? / भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला युद्ध किस वर्ष हुआ था?
Indian History

  • (A) 1855 / 1855
  • (B) 1860 / 1860
  • (C) 1857 / 1857
  • (D) 1848 / 1848

Ans: (C) 1857 / 1857

Important Points:

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला युद्ध:

  • युद्ध का नाम: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला युद्ध 1857 का विद्रोह (जिसे सिपाही विद्रोह या पहला स्वतंत्रता संग्राम भी कहा जाता है) था।

  • वर्ष: यह युद्ध 1857 में हुआ था, जो भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है।

  • कारण: इस विद्रोह का प्रमुख कारण ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारतीय सैनिकों (सिपाहियों) के खिलाफ किए गए भेदभावपूर्ण निर्णय, धार्मिक नीतियाँ और भारतीय समाज की परंपराओं के प्रति उपेक्षाएँ थीं। खासकर, कारतूसों में इस्तेमाल होने वाले गाय और सुअर की चर्बी के विवाद ने इस विद्रोह को और तेज़ किया।

  • मुख्य नेता: इस विद्रोह का नेतृत्व मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहेब और बख्त ख़ान जैसे वीरों ने किया था।

  • स्थानीय संघर्ष: यह विद्रोह दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, झाँसी और अन्य शहरों में फैल गया था, और भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश राज के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष किया।

  • ब्रिटिश प्रतिक्रिया: ब्रिटिश साम्राज्य ने इस विद्रोह को दबाने के लिए बर्बरता का सहारा लिया और बड़ी संख्या में भारतीय नागरिकों और सैनिकों को यातनाएँ दीं।

  • नतीजा: हालांकि विद्रोह सफल नहीं हो सका, लेकिन इसने भारतीय जनता में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक गहरी नफरत और जागरूकता पैदा की।

  • महत्व: इस युद्ध को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला संगठित प्रयास माना जाता है, और इसने भारतीय समाज को ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई।

  • आधिकारिक इतिहास: ब्रिटिश साम्राज्य ने इसे "सिपाही विद्रोह" कहा, जबकि भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने इसे "भारत की पहली स्वतंत्रता संग्राम" के रूप में स्वीकार किया।

  • दृष्टिकोण: 1857 का विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखने वाली घटना बन गया, जो आने वाले दशकों में और भी संगठित और व्यापक संघर्ष का रूप लेगा।

Q(5). The Battle of Plassey was fought in which year? / प्लासी की लड़ाई किस वर्ष लड़ी गई थी?
General Knowledge

  • (A) 1750 / 1750
  • (B) 1757 / 1757
  • (C) 1760 / 1760
  • (D) 1764 / 1764

Ans: (B) 1757 / 1757

Important Points:

प्लासी की लड़ाई (1757) के महत्वपूर्ण बिंदु:

  • वर्ष: 1757
  • स्थल: प्लासी (वर्तमान पश्चिम बंगाल)
  • मुख्य पक्ष:
    • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में)
    • नबाब सिराज-उद-दौला (बंगाल के शासक)
  • कारण:
    • ब्रिटिश व्यापारियों द्वारा नबाब की नीतियों का विरोध
    • ब्रिटिश कंपनियों के कारखानों पर बंदीकरण
  • परिणाम:
    • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की विजय
    • नबाब सिराज-उद-दौला की हार और हत्या
    • बंगाल पर ब्रिटिश नियंत्रण की शुरुआत
  • महत्व:
    • भारतीय उपमहाद्वीप में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव रखी
    • ब्रिटिश शक्ति में वृद्धि, जो आगे चलकर पूरे भारत में फैल गई

Q(6). Which battle did Rana Pratap fight against Akbar? / राणा प्रताप ने अकबर के खिलाफ कौन सा युद्ध लड़ा था?
General Knowledge

  • (A) Battle of Haldighati / हल्दीघाटी की लड़ाई
  • (B) Battle of Dewair / देवर की लड़ाई
  • (C) Battle of Khanwa / खानवा की लड़ाई
  • (D) Battle of Panipat / पानीपत की लड़ाई

Ans: (A) Battle of Haldighati / हल्दीघाटी की लड़ाई

Important Points:

राणा प्रताप ने अकबर के खिलाफ लड़ा था "हलक़ी घाटी की लड़ाई" (Battle of Haldighati)।

यह युद्ध 18 जून 1576 को हुआ था।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • राणा प्रताप, मेवाड़ के राजा, ने अकबर के साम्राज्य के खिलाफ इस युद्ध का नेतृत्व किया।
  • यह युद्ध हलक़ी घाटी, जो कि वर्तमान राजस्थान में स्थित है, में लड़ा गया था।
  • राणा प्रताप ने अपने वीर घोड़े चेतक और अपने सेनापति मानसिंह के साथ लड़ा था।
  • अकबर की सेना ने राणा प्रताप को हराया, लेकिन राणा प्रताप ने कभी समर्पण नहीं किया और अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई जारी रखी।
  • युद्ध में राणा प्रताप के सेनापति और सहयोगी साथियों के बलिदान को महत्वपूर्ण माना जाता है, और राणा प्रताप को एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है।
  • हलक़ी घाटी की लड़ाई ने यह साबित कर दिया कि राणा प्रताप का साहस और संकल्प कभी टूटने वाला नहीं था, बावजूद इसके कि वह अकबर के विशाल साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे।

यह युद्ध भारतीय इतिहास में एक प्रतीक है, जहां एक छोटे से राज्य के राजा ने एक बड़े साम्राज्य से संघर्ष किया था।

Q(7). Which war resulted in the splitting of the Indian subcontinent into India and Pakistan? / किस युद्ध के परिणामस्वरूप भारतीय उपमहाद्वीप को भारत और पाकिस्तान में बांटा गया था?
Indian Independence

  • (A) Indo-Pak War 1947 / भारत-पाक युद्ध 1947
  • (B) Indo-Pak War 1947-48 / भारत-पाक युद्ध 1947-48
  • (C) Bangladesh Liberation War / बांगलादेश मुक्ति संग्राम
  • (D) Kargil War / कारगिल युद्ध

Ans: (B) Indo-Pak War 1947-48 / भारत-पाक युद्ध 1947-48

Important Points:

भारत और पाकिस्तान का विभाजन" 1947 के विभाजन के परिणामस्वरूप हुआ था, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश साम्राज्य के पतन के साथ जुड़ा हुआ था। हालांकि, इस विभाजन के पीछे कोई एक विशेष युद्ध नहीं था, बल्कि यह ब्रिटिश उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता प्राप्ति के दौरान एक राजनीतिक और सामाजिक प्रक्रिया का परिणाम था।

Related Notes:

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • विभाजन के कारण: 1947 में भारतीय उपमहाद्वीप को ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता मिली। हालांकि, धार्मिक और सांस्कृतिक भिन्नताओं के कारण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच तनाव बढ़ गया था। मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान के रूप में एक अलग राष्ट्र की मांग की, जबकि कांग्रेस ने एक संयुक्त भारत की पैरवी की। इस असहमति के परिणामस्वरूप भारतीय उपमहाद्वीप का विभाजन हुआ।

  • विभाजन की प्रक्रिया: भारत के विभाजन की योजना को ब्रिटिश सरकार ने स्वीकार किया, जिसे "माउंटबेटन योजना" के रूप में जाना जाता है। यह योजना 3 जून 1947 को प्रस्तुत की गई थी और इसके परिणामस्वरूप भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई, लेकिन पाकिस्तान एक अलग मुस्लिम राज्य के रूप में अस्तित्व में आया।

  • विभाजन का परिणाम: विभाजन के कारण लाखों लोगों का पलायन हुआ, और हिंसा, धार्मिक दंगे, और साम्प्रदायिक संघर्षों में हजारों लोग मारे गए। भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय तक तनाव और युद्ध होते रहे।

  • भारत और पाकिस्तान के विभाजन का मुख्य कारण: विभाजन की प्रक्रिया एक राजनीतिक समझौते का परिणाम थी, जिसमें ब्रिटिश उपनिवेशी सरकार और भारतीय नेताओं के बीच सांप्रदायिक विभाजन और अलगाव की वजह से एक स्वतंत्र मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) और एक हिंदू बहुल राष्ट्र (भारत) का निर्माण हुआ।

इसलिए, "भारत और पाकिस्तान का विभाजन" एक स्वतंत्रता संग्राम और राजनीतिक निर्णय का परिणाम था, न कि किसी विशेष युद्ध का।

Q(8). The Battle of Buxar took place in which year? / बक्सर की लड़ाई किस वर्ष लड़ी गई थी?
British History

  • (A) 1706 / 1706
  • (B) 1771 / 1771
  • (C) 1757 / 1757
  • (D) 1764 / 1764

Ans: (D) 1764 / 1764

Important Points:

बक्सर की लड़ाई 22 अक्टूबर 1764 को लड़ी गई थी।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • लड़ाई का स्थान: यह लड़ाई बक्सर (जो अब बिहार राज्य में स्थित है) में लड़ी गई थी।
  • लड़ाई के पक्ष:
    • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और
    • बंगाल के नवाब शुजाउद्दौला,
    • मीर कासिम (बंगाल का नवाब) और
    • लॉर्ड क्लाइव के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना।
  • लड़ाई के परिणाम:
    • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने जीत हासिल की, जो भारतीय उपमहाद्वीप में उनके प्रभाव को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम था।
    • इस युद्ध ने ब्रिटिश साम्राज्य को बंगाल, बिहार और उड़ीसा पर नियंत्रण स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया।
  • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की रणनीति:
    • इस युद्ध में ब्रिटिश सेना की प्रमुख सफलता उनकी बेहतर सैन्य रणनीति और संगठनात्मक क्षमता के कारण थी।
  • सामरिक परिणाम:
    • बक्सर की लड़ाई के बाद, मीर कासिम और शुजाउद्दौला को हार का सामना करना पड़ा और ब्रिटिशों ने क्षेत्रीय नियंत्रण स्थापित किया।

बक्सर की लड़ाई ने ब्रिटिश साम्राज्य के भारतीय उपमहाद्वीप में विस्तार के लिए एक निर्णायक मोड़ प्रदान किया।

Q(9). What was the result of the Battle of Seringapatam in 1799? / 1799 में सिरिंगपट्टम की लड़ाई का परिणाम क्या था?
Indian History

  • (A) British Victory / ब्रिटिश विजय
  • (B) Maratha Victory / मराठा विजय
  • (C) Tipu Sultan's death / टिपू सुलतान की मृत्यु
  • (D) Nizam's victory / निज़ाम की विजय

Ans: (C) Tipu Sultan's death / टिपू सुलतान की मृत्यु

Q(10). Which battle marked the beginning of the Maratha empire's downfall? / किस युद्ध ने मराठा साम्राज्य के पतन की शुरुआत की थी?
Maratha History

  • (A) Battle of Buxar / बक्सर की लड़ाई
  • (B) Third Battle of Panipat / पानीपत की तीसरी लड़ाई
  • (C) Battle of Karnal / करनाल की लड़ाई
  • (D) Battle of Chausa / चौसा की लड़ाई

Ans: (B) Third Battle of Panipat / पानीपत की तीसरी लड़ाई

Important Points:

मराठा साम्राज्य के पतन की शुरुआत "पानीपत की तीसरी लड़ाई" (1761) से हुई थी।

Related Notes:

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • लड़ाई का वर्ष: 1761
  • लड़ाई का स्थान: पानीपत (जो अब हरियाणा राज्य में स्थित है)।
  • लड़ाई के पक्ष:
    • मराठा संघ की सेना और
    • अहमद शाह अब्दाली (अफगान साम्राज्य के शासक) के नेतृत्व में अफगान सेना।
  • लड़ाई के परिणाम:
    • मराठों की भारी हार हुई थी, जिससे मराठा साम्राज्य का पतन शुरू हुआ।
    • इस युद्ध में मराठों को भारी जनहानि और सैन्य नुकसान हुआ।
  • सामरिक कारण:
    • मराठों के भीतर कमांड की असंगति और अहमद शाह अब्दाली की बेहतर सैन्य रणनीति ने अफगान सेना को जीत दिलाई।
  • परिणाम:
    • पानीपत की तीसरी लड़ाई के बाद, मराठा साम्राज्य की शक्ति कमजोर हो गई, और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस कमजोरी का फायदा उठाया, जिससे भारतीय उपमहाद्वीप में ब्रिटिश प्रभुत्व का मार्ग प्रशस्त हुआ।

पानीपत की तीसरी लड़ाई मराठा साम्राज्य के पतन की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने उन्हें भारत में राजनीतिक और सैन्य रूप से कमजोर कर दिया।

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Q(11). The Battle of Saragarhi was fought in which year? / सारागढ़ी की लड़ाई किस वर्ष लड़ी गई थी?
Military History

  • (A) 1890 / 1890
  • (B) 1895 / 1895
  • (C) 1900 / 1900
  • (D) 1897 / 1897

Ans: (D) 1897 / 1897

Q(12). Which of the following battles was fought in 1857? / निम्नलिखित में से कौन सा युद्ध 1857 में लड़ा गया था?
Indian History

  • (A) Battle of Buxar / बक्सर की लड़ाई
  • (B) First War of Indian Independence / भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला युद्ध
  • (C) Battle of Plassey / प्लासी की लड़ाई
  • (D) Battle of Delhi / दिल्ली की लड़ाई

Ans: (B) First War of Indian Independence / भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला युद्ध

Q(13). Who was the leader of the Indian side in the Battle of Haldighati? / हल्दीघाटी की लड़ाई में भारतीय पक्ष के नेता कौन थे?
Maratha History

  • (A) Rana Pratap / राणा प्रताप
  • (B) Shivaji Maharaj / शिवाजी महाराज
  • (C) Maharana Amar Singh / महाराणा अमर सिंह
  • (D) Maharana Bhim Singh / महाराणा भीम सिंह

Ans: (A) Rana Pratap / राणा प्रताप

Important Points:

हल्दीघाटी की लड़ाई (1576):

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • लड़ाई का वर्ष: 1576
  • लड़ाई का स्थान: हल्दीघाटी, जो अब राजस्थान में स्थित है।
  • लड़ाई के पक्ष:
    • महाराणा प्रताप (मेवाड़ के राजा) और
    • अकबर (मुगल सम्राट) के सेनापतियों के बीच।
  • लड़ाई का कारण:
    • महाराणा प्रताप ने अकबर के अधीनता स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, और मेवाड़ की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए संघर्ष किया।
  • लड़ाई के परिणाम:
    • लड़ाई के दौरान महाराणा प्रताप की सेना को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन वह युद्ध छोड़कर भाग गए और उनका संघर्ष जारी रखा।
    • अकबर की सेना ने विजय प्राप्त की, लेकिन हल्दीघाटी की लड़ाई में पूरी तरह से निर्णायक जीत नहीं मिली।
    • महाराणा प्रताप ने बाद में जंगलों और पहाड़ियों में छिपकर अकबर के साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष जारी रखा और अपनी स्वतंत्रता की रक्षा की।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • महाराणा प्रताप की वीरता: हल्दीघाटी की लड़ाई को भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में वीरता का प्रतीक माना जाता है।
  • स्वतंत्रता का प्रतीक: इस लड़ाई ने यह दिखाया कि महाराणा प्रताप ने किसी भी प्रकार के आंतरिक दबाव और बाहरी आक्रमणों के बावजूद अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखा।

हल्दीघाटी की लड़ाई को भारतीय इतिहास में एक प्रमुख संघर्ष के रूप में जाना जाता है, जिसने न केवल अकबर के साम्राज्य को चुनौती दी, बल्कि भारत में स्वतंत्रता की भावना को भी प्रेरित किया।

Q(14). In which battle was Tipu Sultan defeated? / किस युद्ध में टिपू सुलतान को हराया गया था?
Indian History

  • (A) Battle of Plassey / प्लासी की लड़ाई
  • (B) Battle of Buxar / बक्सर की लड़ाई
  • (C) Battle of Seringapatam / सिरिंगपट्टम की लड़ाई
  • (D) Battle of Panipat / पानीपत की लड़ाई

Ans: (C) Battle of Seringapatam / सिरिंगपट्टम की लड़ाई

Related Notes:

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • लड़ाई का नाम: चौथी आंग्ल-मैसूर युद्ध (Fourth Anglo-Mysore War)
  • लड़ाई का वर्ष: 1799
  • लड़ाई का स्थान: सिरीरंगपटना, जो वर्तमान में कर्नाटका राज्य में है।
  • लड़ाई के पक्ष:
    • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और
    • टिपू सुलतान (मैसूर के शासक) के बीच।

लड़ाई का कारण:

  • टिपू सुलतान ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष जारी रखा था और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के विस्तार को चुनौती दी थी। चौथी आंग्ल-मैसूर युद्ध में ब्रिटिशों ने अपनी सैन्य ताकत का प्रयोग करते हुए टिपू सुलतान को हराया।

लड़ाई के परिणाम:

  • टिपू सुलतान की मृत्यु: टिपू सुलतान युद्ध के दौरान सिरीरंगपटना किले की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे।
  • मैसूर साम्राज्य का पतन: टिपू की मृत्यु के बाद, ब्रिटिशों ने मैसूर साम्राज्य पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर लिया।
  • ब्रिटिश विजय: इस युद्ध में ब्रिटिशों की विजय के बाद, भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का प्रभाव और भी मजबूत हो गया।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • टिपू सुलतान की वीरता: टिपू सुलतान को भारतीय इतिहास में एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में सम्मानित किया जाता है। उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अपने जीवन की अंतिम सांस तक संघर्ष किया।
  • मैसूर का भाग्य: टिपू सुलतान की मृत्यु के बाद, मैसूर राज्य ब्रिटिशों द्वारा सीधे नियंत्रित किया गया।

संक्षेप में: चौथी आंग्ल-मैसूर युद्ध में टिपू सुलतान को ब्रिटिशों द्वारा हराया गया, जिसके परिणामस्वरूप मैसूर साम्राज्य का पतन हुआ और ब्रिटिश साम्राज्य का भारत में प्रभाव और भी बढ़ा।

Q(15). The battle of Khanwa was fought in which year? / खानवा की लड़ाई किस वर्ष लड़ी गई थी?
Mughal History

  • (A) 1526 / 1526
  • (B) 1530 / 1530
  • (C) 1527 / 1527
  • (D) 1540 / 1540

Ans: (C) 1527 / 1527

Important Points:

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • लड़ाई का नाम: खानवा की लड़ाई
  • लड़ाई का वर्ष: 1527
  • लड़ाई का स्थान: खानवा, जो वर्तमान में राजस्थान के अजमेर जिले के पास स्थित है।
  • लड़ाई के पक्ष:
    • राणा साँगा (राजपूतों का नेतृत्व करने वाले शासक) और
    • बाबर (मुगल सम्राट) के बीच।

लड़ाई के कारण:

  • बाबर ने भारत में अपनी मुगल साम्राज्य की नींव रखी थी और राणा साँगा ने उसे चुनौती दी। राणा साँगा ने बाबर के खिलाफ एक गठबंधन तैयार किया था जिसमें विभिन्न राजपूत राज्यों और सultanate के नेताओं ने भाग लिया था।

लड़ाई का परिणाम:

  • बाबर की विजय: बाबर ने राणा साँगा को हराया और उसकी सेना को पूरी तरह से पराजित कर दिया।
  • राजपूतों का विघटन: राणा साँगा की हार ने राजपूतों के सहयोग को समाप्त किया और बाबर को उत्तर भारत में अपनी सत्ता मजबूत करने का अवसर मिला।
  • मुगल साम्राज्य की नींव: बाबर की विजय ने भारत में मुगलों की सत्ता को मजबूत किया और यह उनके साम्राज्य के विस्तार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था।

Related Notes:

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • राणा साँगा की वीरता: राणा साँगा को भारतीय इतिहास में एक महान योद्धा के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने बाबर के खिलाफ संघर्ष किया।
  • खानवा की लड़ाई का महत्व: यह लड़ाई भारत में राजपूतों और मुगलों के बीच संघर्ष का महत्वपूर्ण प्रतीक मानी जाती है, और इसके बाद बाबर ने अपनी स्थिति को स्थिर किया।

संक्षेप में: खानवा की लड़ाई 1527 में बाबर और राणा साँगा के बीच लड़ी गई थी, जिसमें बाबर ने विजय प्राप्त की और मुगल साम्राज्य की नींव को और मजबूत किया।

Q(16). Which battle is considered as the most important battle of the Maratha Empire? / किस युद्ध को मराठा साम्राज्य का सबसे महत्वपूर्ण युद्ध माना जाता है?
Maratha History

  • (A) Battle of Khanwa / खानवा की लड़ाई
  • (B) Third Battle of Panipat / पानीपत की तीसरी लड़ाई
  • (C) Battle of Ambarnath / अंबरनाथ की लड़ाई
  • (D) Battle of Buxar / बक्सर की लड़ाई

Ans: (B) Third Battle of Panipat / पानीपत की तीसरी लड़ाई

Q(17). Which battle was fought in 1565 between the Deccan Sultanates and the Vijayanagar Empire? / 1565 में दक्कन सुलतानियों और विजयनगर साम्राज्य के बीच कौन सी लड़ाई लड़ी गई थी?
Deccan History

  • (A) Battle of Plassey / प्लासी की लड़ाई
  • (B) Battle of Panipat / पानीपत की लड़ाई
  • (C) Battle of Talikota / तालिकोटा की लड़ाई
  • (D) Battle of Khanwa / खानवा की लड़ाई

Ans: (C) Battle of Talikota / तालिकोटा की लड़ाई

Q(18). Who won the Battle of Talikota? / तालिकोटा की लड़ाई में किसकी जीत हुई थी?
Deccan History

  • (A) Vijayanagara Empire / विजयनगर साम्राज्य
  • (B) Marathas / मराठा
  • (C) Mughal Empire / मुग़ल साम्राज्य
  • (D) Deccan Sultanates / दक्कन सुलतानियों

Ans: (D) Deccan Sultanates / दक्कन सुलतानियों

Important Points:

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • लड़ाई का नाम: तालिकोटा की लड़ाई (जिसे वीजी द्वार भी कहा जाता है)
  • लड़ाई का वर्ष: 1565
  • लड़ाई का स्थान: तालिकोटा, जो वर्तमान में कर्नाटका राज्य में स्थित है।

लड़ाई के पक्ष:

  • विजयनगर साम्राज्य के खिलाफ देक्कन सुलतानates के बीच यह युद्ध लड़ा गया था।
    • विजयनगर साम्राज्य: रामराजा (विजयनगर साम्राज्य के शासक) और उनके भाई कृष्णदेव राय के नेतृत्व में।
    • देक्कन सुलतानates: 5 मुस्लिम सुलतानates, जिनमें अहमदनगर, गोलकोंडा, बीजापुर, बीदर और कच्छी शामिल थे।

लड़ाई के परिणाम:

  • देक्कन सुलतानates की जीत: तालिकोटा की लड़ाई में विजयनगर साम्राज्य को हार का सामना करना पड़ा और देक्कन सुलतानates ने जीत हासिल की।
  • विजयनगर साम्राज्य का पतन: इस युद्ध के परिणामस्वरूप विजयनगर साम्राज्य की शक्ति में बहुत बड़ी कमी आई और यह साम्राज्य धीरे-धीरे कमजोर होने लगा।

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